जय माता दी दोस्तों, मै ज्योति गोयनका आप सभी का अपने इस ब्लॉग मै स्वागत करती हूँ । दोस्तों मेरी आज के इस आर्टिकल का विषय है " दूसरो की परेशानी मे उनकी मदद करे "
दोस्तों , अक्सर देखा जाता है , जब भी कोई अपनी समस्या हमारे पास लेकर आता है, हम उस पर ध्यान नहीं देते, हम यह सोच कर ignore कर देते है, छोड़ो हमे क्या ? परन्तु उस समय हम यह नहीं सोचते , कल यही problem हमारे पर भी आ सकती है. आज इसी से related मै आपको एक कहानी बताने जा रही हूँ , वो कहानी कुछ इस प्रकार से है
एक *चूहा* एक कसाई के घर में बिल बना कर रहता था।
एक दिन *चूहे* ने देखा कि उस कसाई और उसकी पत्नी एक थैले से कुछ निकाल रहे हैं। चूहे ने सोचा कि शायद कुछ खाने का सामान है।
उत्सुकतावश देखने पर उसने पाया कि वो एक *चूहेदानी* थी।
ख़तरा भाँपने पर उस ने पिछवाड़े में जा कर *कबूतर* को यह बात बताई कि घर में चूहेदानी आ गयी है।
कबूतर ने मज़ाक उड़ाते हुए कहा कि मुझे क्या? मुझे कौनसा उस में फँसना है?
निराश चूहा ये बात *मुर्गे* को बताने गया।
मुर्गे ने खिल्ली उड़ाते हुए कहा… जा भाई.. ये मेरी समस्या नहीं है।
हताश चूहे ने बाड़े में जा कर *बकरे* को ये बात बताई… और बकरा हँसते हँसते लोटपोट होने लगा।
उसी रात चूहेदानी में खटाक की आवाज़ हुई, जिस में एक ज़हरीला *साँप* फँस गया था।
अँधेरे में उसकी पूँछ को चूहा समझ कर उस कसाई की पत्नी ने उसे निकाला और साँप ने उसे डस लिया।
तबीयत बिगड़ने पर उस व्यक्ति ने हकीम को बुलवाया। हकीम ने उसे *कबूतर* का सूप पिलाने की सलाह दी।
कबूतर अब पतीले में उबल रहा था। खबर सुनकर उस कसाई के कई रिश्तेदार मिलने आ पहुँचे जिनके
भोजन प्रबंध हेतु अगले दिन उसी *मुर्गे* को काटा गया।
भोजन प्रबंध हेतु अगले दिन उसी *मुर्गे* को काटा गया।
कुछ दिनों बाद उस कसाई की पत्नी सही हो गयी, तो खुशी में उस व्यक्ति ने कुछ अपने शुभचिंतकों के लिए एक दावत रखी तो *बकरे* को काटा गया।
*चूहा* अब दूर जा चुका था, बहुत दूर ……….।
_तो दोस्तों अगली बार कोई आपको अपनी समस्या बतायेे और आप को लगे कि ये मेरी समस्या नहीं है, तो रुकिए और दुबारा सोचिये।*_
*_समाज का एक अंग, एक तबका, एक नागरिक खतरे में है तो पूरा देश खतरे में है।_*
_अपने-अपने दायरे से बाहर निकलिये। स्वयं तक सीमित मत रहिये। सामाजिक बनिये.."
यदि आपको मेरी यह कहानी पसंद आयी है तो मुझे अपने comments लिखना न भूले. धन्यावाद
ज्योति गोयनका
A friend in need is a friend indeed.
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