जय माता दी । मै ज्योति गोयनका आज आप सबसे अपने अनुभवों के आधार पर कुछ कहना चाहती हूँ ॥ आज मै आपको काली माता के उस मंदिर के विषय मै बताने जा रही हूँ , जहाँ जाने पर माता के पवित्र दर्शन करते हे मुझे माँ के मौजूदगी वहां महसूस होती है, जहाँ मेरे मन को असीम शांति प्राप्त होती है । और सबसे बड़ी बात यह है की, इस मंदिर से इस दयामयी माँ काली ने कभी मुझे खली हाथ नहीं भेजा । जिस प्रकार एक माँ अपनी बेटी को कभी अपने घर से खली हाथ नहीं भेजती उसी प्रकार माँ काली ने भी कभी इस मंदिर से मुझे खली हाथ नहीं भेजा।
दोस्तों यह मंदिर नई दिल्ली मै रोहिणी मै रिंग रोड, दीपाली चौक पर स्थित है । शनिवार को भक्तो की ४ -४ किलोमीटर तक दूर लम्बी कतार लगी होती है ॥ यहां हरियाणा, राजस्थान व पंजाब से भी लोग दर्शन को आते हैं।
दोस्तों यह मंदिर नई दिल्ली मै रोहिणी मै रिंग रोड, दीपाली चौक पर स्थित है । शनिवार को भक्तो की ४ -४ किलोमीटर तक दूर लम्बी कतार लगी होती है ॥ यहां हरियाणा, राजस्थान व पंजाब से भी लोग दर्शन को आते हैं।
करीब 100 वर्ष पुराने इस मंदिर को लेकर लोगों में काफी मान्यताएं और आस्था है। मंदिर समिति के अनुसार इसकी स्थापना एक साधु ने की थी। जिसने एक झूले पर बैठकर खूब तप किया था। पुराने समय में यहां मात्र एक पत्थर की मूर्ति हुआ करती थी। जिसके सामने विशाल बरगद का पेड़ था। बाद में इसका विस्तार किया गया और मंदिर में भक्तों के लिए विशेष सुविधाएं उपलब्ध कराई गई।
अंत मे मैं ज्योती गोयनका आप सबसे अनुरोध करती हूँ की आप सब भी इस दयामयी माता काली के दर्शन करने इस मंदिर मैं अवशय जाये ॥ जय माता दी
ज्योति गोयनका
No it has been built in the 1300 by the last Chakrobarty Samrat The Maharajah Ratan Raval Singh of chtitorgar for his son.
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