जय माता दी ॥ जैसा की आप सब जानते है आज 18 जनवरी से माघ गुप्त नवरात्री आरम्भ हो रहे है ॥ आज प्रथम नवरात्री है ॥ आज सुबह अपने मंदिर मे कलश स्थापना करे ॥
कलश स्थापना की विधि
मान्यता के अनुसार कलश स्थापना के बाद ही किसी भी देवी देवता की पूजा का विधान है।कलश स्थापना विशेष मंत्रों एवं विधियों से किया जाता है। इससे कलश में सभी ग्रह, नक्षत्रों एवं तीर्थों का वास हो जाता है। इस दिन सुबह एक पाटे पर लाल कपड़ा बिछाएं। इस पर अक्षत से अष्टदल बनाकर इस पर जल से भरा कलश स्थापित करें। इस कलश मे पुष्प , अक्षत, इलायची, सुपारी और एक सिक्का डाल दे ॥अब कलश में थोड़ा और जल-गंगाजल डालते हुए ‘ॐ वरुणाय नमः’ मंत्र पढ़ें और कलश को पूर्ण रूप से भर दें। कलश मे एक नारियल रखे और आम के पत्ते रखे ॥ कलश पर स्वस्तिक बनाये और मौली का धागा बांध दे ॥ कच्चा चावल कटोरे में भरकर कलश के ऊपर रखें फिर लाल कपड़े से लिपटा हुआ कच्चा नारियल कलश पर रखे और वरुण देवता को प्रणाम करे॥ अब कलश के सामने जौ को मिट्टी के पात्र में रोंपें। इस को माताजी का स्वरूप मानकर पूजन करें। कलश स्थापना के बाद मां भगवती की अखंड ज्योति जलाएं।यदि हो सके तो यह ज्योति पूरे नौ दिनों तक जलती रहनी चाहिए।
कलश सोना, चांदी, तांबा, पीतल या मिट्टी का होना चाहिए। लोहे या स्टील का कलश पूजा में प्रयोग नहीं करना चाहिए।
जय माता दी
ज्योति गोयनका
कलश स्थापना की विधि
मान्यता के अनुसार कलश स्थापना के बाद ही किसी भी देवी देवता की पूजा का विधान है।कलश स्थापना विशेष मंत्रों एवं विधियों से किया जाता है। इससे कलश में सभी ग्रह, नक्षत्रों एवं तीर्थों का वास हो जाता है। इस दिन सुबह एक पाटे पर लाल कपड़ा बिछाएं। इस पर अक्षत से अष्टदल बनाकर इस पर जल से भरा कलश स्थापित करें। इस कलश मे पुष्प , अक्षत, इलायची, सुपारी और एक सिक्का डाल दे ॥अब कलश में थोड़ा और जल-गंगाजल डालते हुए ‘ॐ वरुणाय नमः’ मंत्र पढ़ें और कलश को पूर्ण रूप से भर दें। कलश मे एक नारियल रखे और आम के पत्ते रखे ॥ कलश पर स्वस्तिक बनाये और मौली का धागा बांध दे ॥ कच्चा चावल कटोरे में भरकर कलश के ऊपर रखें फिर लाल कपड़े से लिपटा हुआ कच्चा नारियल कलश पर रखे और वरुण देवता को प्रणाम करे॥ अब कलश के सामने जौ को मिट्टी के पात्र में रोंपें। इस को माताजी का स्वरूप मानकर पूजन करें। कलश स्थापना के बाद मां भगवती की अखंड ज्योति जलाएं।यदि हो सके तो यह ज्योति पूरे नौ दिनों तक जलती रहनी चाहिए।
कलश सोना, चांदी, तांबा, पीतल या मिट्टी का होना चाहिए। लोहे या स्टील का कलश पूजा में प्रयोग नहीं करना चाहिए।
जय माता दी
ज्योति गोयनका
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